कश्मीर: जमीनी हालात देखने के बाद होगी महबूबा और उमर समेत अन्य नेताओं की रिहाई

mehbooba mufti and omar abdullah  photo  hindustan times
जम्मू कश्मीर में महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला सहित अन्य नजरबंद नेताओं की रिहाई में अभी वक्त लग सकता है। इन नेताओं से अलग-अलग सूत्रों के जरिये संपर्क जल्द साधा जा सकता है। शांति का भरोसा और जमीनी हालात को देखकर ही रिहाई पर फैसला होगा।  मंगलवार को केंद्र की टीम विकास कार्यों का जायजा लेने कश्मीर दौरे पर गई।
घाटी में 40 नेताओं व 1000 से ज्यादा पत्थरबाजों को अभी तक हिरासत में लिया गया है। सूत्रों ने कहा, नजरबंद किए गए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों के पास पहुंचने के लिए परिवार के किसी सदस्य द्वारा प्रयास नहीं किया गया। सूत्रों ने कहा, महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती राज्य छोड़कर जा चुकी हैं।  
सूत्रों ने कहा, कई नेता सेंटौर होटल में रुके हैं। कुछ के परिजन उनसे मिलने आए। लेकिन दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के परिवार से कोई मिलने नहीं आया। इन पर प्रशासन नजर रख रहा है। उमर अब्दुल्ला हरि निवास पैलेस में हैं और महबूबा मुफ्ती चश्मे शाही में हैं। विपक्ष के नेता मोहम्मद युसुफ तारीगमी को घर में रखा गया है। राज्य में 1100 से ज्यादा पत्थरबाज गिरफ्तार किए गए हैं। इनमें से 150 पर निवारक सुरक्षा अधिनियम के तहत मामला दर्ज है। 
अमन प्राथमिकता 
सूत्रों का कहना है कि सरकार की प्राथमिकता जम्मू-कश्मीर में अमन और विकास कार्य आगे बढ़ाना है। बंद नेता अगर शांति का भरोसा देकर सहयोग और बातचीत को तैयार होते हैं तो रिहाई पर विचार किया जाएगा। लेकिन अभी केंद्र सरकार इस बारे में राज्य प्रशासन की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है
 
अनुच्छेद 370 को हटाना राष्ट्रीय मामला : वेंकैया
उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त करना राजनीतिक मामला नहीं, बल्कि राष्ट्रीय मामला है। यह वक्त की जरूरत थी।
विजयवाड़ा में एक कार्यक्रम के दौरान उप राष्ट्रपति ने कहा, यह काफी समय से लंबित था। अनुच्छेद 370 को हटाना देश के लिए अच्छा है, हालांकि अस्थायी तौर पर कुछ चीजें हो सकती हैं। उन्होंने राज्यसभा में इस विधेयक के पेश होने का उल्लेख करते हुए कहा कि जब यह विधेयक पेश हुआ तो वह बहुत उत्साहित थे। उन्होंने कहा, हम सिर्फ यही चाहते थे कि बहस हो, चर्चा हो और सदन में शिष्टाचार बना रहे। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नवंबर 1963 में दिए गए भाषण को उद्धृत करते हुए नायडू ने कहा कि यह अस्थायी और कुछ समय के लिए था।

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