CA बनना चाहते थे अरुण जेटली, शेर ओ शायरी से देते थे जवाब
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- Last updated: Sat, 24 Aug 2019 05:57 PM IST
पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें हम सबके बीच हमेशा बनी रहेंगी। उनके भारतीय जनपा पार्टी के दिग्गज नेता प्रखर वक्ता के रूप में उनकी जो विशेष पहचान थी शायद वो बहुत ही कम लोगों में देखने को मिलती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफी करीबी होने के साथ ही मोदी सरकार -1 में अहम ओहदा रखने वाले चुनिंदा नेताओं में से एक थे। लेकिन उनकी रुचि और बचपन के बारे में कम लोग ही जानते होंगे। तो आइए जानते हैं उनसी जुड़ी कुछ खास बातें-
पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली बचपन में नेता बनने की बजाए चार्टेड अकाउंटेंट (सीए) बनना चाहते थे। वह पढ़ाई में काफी तेज थे। सीए बनने की दिशा में उन्होंने दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से इकॉनॉमिक्स में स्नातक की पढ़ाई की। इसी दौरान जनसंघ की छात्रसंघ इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े। इसी दौरान इंदिरा गांधी सरकार ने देश में आपातकाल थोप दिया तो अरुण जेटली भी विरोधी नेताओं के साथ आपातकाल के खिलाफ मैदान में उतर पड़े। आपातकाल में उन्हें जेल भी जाना पड़ा।
अरुण जेटली इसी दौरान कई नेताओं के संपर्क में आए। और फिर सीए करने का सपना छोड़ कानून की पढ़ाई पूरी की। बताया जाता है 1977 से अरुण जेटली सुप्रीम कोर्ट में प्रक्टिस करने लगे थे। 1980 में वह भारतीय जनता पार्टी यूथ विंग के अध्यक्ष बने और इसके बाद जो सियासी सफर शुरू हुआ वह कभी खत्म नहीं हुआ।
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शेर ओ शायरी में देते थे जवाब
भाषण कला में माहिर अरुण जेटली शेर ओ शायरी के भी शौकीन थे। संसद में भाषण देने के दौरान कई बार वह शेर ओ शायरी में ही विरोधियों की बोलती बंद करते नजर आए। देखें बजट भाषण के दौरान उनके द्वारा बोली गई कुछ शायरी-
साल 2017 के बजट पेशकश में ये जेटली ने पढ़ी ये शायरी
इस मोड़ पर घबरा कर न थम जाइए आप,
जो बात नई है अपनाइए आप,
डरते हैं क्यों नई राह पर चलने से आप,
हम आगे आगे चलते हैं आइए आप,
इस मोड़ पर घबरा कर न थम जाइए आप,
जो बात नई है अपनाइए आप,
डरते हैं क्यों नई राह पर चलने से आप,
हम आगे आगे चलते हैं आइए आप,
साल 2016 में बजट पेश करते समय जेटली ने पढ़ी थी ये शायरी
कश्ती चलाने वालों ने जब हार कर दी पतवार हमें,
लहर लहर तूफान मिलें और मौज-मौज मझधार हमें,
फिर भी दिखाया है हमने और फिर ये दिखा देंगे सबको,
इन हालातों में आता है दरिया करना पार हमें
कश्ती चलाने वालों ने जब हार कर दी पतवार हमें,
लहर लहर तूफान मिलें और मौज-मौज मझधार हमें,
फिर भी दिखाया है हमने और फिर ये दिखा देंगे सबको,
इन हालातों में आता है दरिया करना पार हमें
2015 में भी बजट पेश के दौरान जेटली की शायरी ने खींचा था ध्यान
कुछ तो फूल खिलाये हमने
और कुछ फूल खिलाने हैं,
मुश्किल ये है बाग में
अब तक कांटें कई पुराने हैं।
कुछ तो फूल खिलाये हमने
और कुछ फूल खिलाने हैं,
मुश्किल ये है बाग में
अब तक कांटें कई पुराने हैं।
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